Pratapsingh2_0's profile picture. ||जिज्ञासु|| दुनिया को समझने का एक प्रयास ||UPSC का बालक|| साहित्य पढ़ने व लिखने में विशेष रुचि || Drishti IAS ||

Pratap singh 2.0

@Pratapsingh2_0

||जिज्ञासु|| दुनिया को समझने का एक प्रयास ||UPSC का बालक|| साहित्य पढ़ने व लिखने में विशेष रुचि || Drishti IAS ||

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सावधान ‼️ उसे सिर्फ़ एक बयान बदलना है..! बहुत ही शानदार बात समझाया हैं / अपने और दूसरे के परिवार के मान सम्मान का ख्याल रखें ।।


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कन्हैया से हमने पूछा था कि वह चुनाव लड़ना चाहते हैं,या नहीं उन्होंने बहुत क्लीयरली बोला, कि हम पार्टी के लिए काम करना चाहते हैं खुद नहीं लड़ना चाहते - कृष्णा अल्लावरू


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जवानी तो ग़लतियों की प्रयोगशाला है, ये उम्र इम्तिहानों से खेलती है। कभी हँसी में छुपाकर ग़मों की चीख़ों को, ये उम्र अपने अफ़सानों से खेलती है। कभी मोहब्बत, कभी बग़ावत की राहों में, ये उम्र दिल के तूफ़ानों से खेलती है। ‘चाहत’ यही राज़-ए-ज़िंदगी समझ लो, ये उम्र हादसों से खेलती…


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हम भूख के पले बच्चे है,एक दिन आएगा सब कुछ खाएंगे, अगर घर से निकलें है,तो इतिहास लिखकर ही जाएंगे।


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भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन को आख़िरी समय तक विश्वास नहीं था, कि वो कभी बूढ़े भी हो सकते हैं. पूरी उम्र उन्हें कोई बड़ी बीमारी नहीं हुई सिवाय मामूली ज़ुकाम के. हालांकि रिटायर होने के बाद माउंटबेटन एक समान्य जीवन जी रहे थे लेकिन प्रशासन को कहीं न कहीं अंदाज़ा था कि…


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*मिल गया,* 4th may 2014 का वीडियो है। सुनिए तब मोदीजी उस समय के चुनाव आयोग को क्या क्या नहीं कह रहे हैं, जिसे अब कहने पर लोग एफिडेविट मांग रहे हैं या #राहुल_गांधी को जेल भेज देने पर उतारू है आज़ाद हिंदुस्तान के इतिहास में पहली बार विपक्ष के 300 सांसद सड़क पर आए, @ECISVEEP


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फिर देखें-जितनी जल्दी इसे समझ लें,अच्छा होगा :)


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बदला बदला सा है मिजाज ये क्या बात हो गई गिला हम से है या किसी और से मुलाक़ात हो गई🚨 वाह चित्रा जी, नौकरी ख़तरे में न पड़ जाए 😂😂


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राजस्थान के सीनियर आईएएस समित शर्मा की प्रतिभा संगीत में भी दिलचस्प है.


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बहुत सुधर गया हूं मैं अब दूर रहता हूं अच्छे लोगों से। #achcheebaten

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#achcheebaten

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आर. चेतनक्रांति सुना रहे हैं कुँवर नारायण की कविता ‘एक अज़ीब दिन’ [Kunwar Narain, Poetry, Apne Saamne, R Chetankranti, साथ जुड़ें साथ पढ़ें]


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मैं एक बादल हूँ — हर दिन ज़मीन के ऊपर तैरता हूँ, लोगों की छतें देखता हूँ, और उनके झगड़ों की आवाज़ें अपने भीतर समेटता हूँ। जब मन भर जाता है, तो बरस पड़ता हूँ। कोई समझता है कि ये पानी है, पर असल में ये उन तमाम अनकहे शब्दों का बोझ है जो आसमान तक आ गए थे।

harish_parsai's tweet image. मैं एक बादल हूँ — हर दिन ज़मीन के ऊपर तैरता हूँ, लोगों की छतें देखता हूँ, और उनके झगड़ों की आवाज़ें अपने भीतर समेटता हूँ। जब मन भर जाता है, तो बरस पड़ता हूँ। कोई समझता है कि ये पानी है, पर असल में ये उन तमाम अनकहे शब्दों का बोझ है जो आसमान तक आ गए थे।

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चाहता तो बच सकता था मगर कैसे बच सकता था जो बचेगा कैसे रचेगा प्रतिनिधि कविताएँ • श्रीकांत वर्मा #Poetry #PratinidhiKavitaen #ShrikantVerma #Havan #राजकमलप्रकाशन #साथजुड़ेंसाथपढ़ें


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शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो, सफलता कभी भी पक्की नहीं होती है, असफलता भी कभी अंतिम नहीं होती है - बाबा साहेब

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आइए थोड़ा ओरिजिनल वाला डांस भी देखिए जरा .. क्रांति देवी जी का एकदम अनकट वाला लाएं हैं आप लोगों के स्नेह खातिर ❣️ आनंद लीजिए 🕺 #PanchayatS4


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नहीं हम में कोई अनबन नहीं है, बस इतना है कि अब वो मन नही है !! मैं अपने आप को सुलझा रहा हूँ, तुम्हें लेकर कोई उलझन नहीं है !! - मंगल नसीम🌷


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विकाश क्या है पेड़ काट कर किताब बना देना पतन क्या है उन्ही किताबो पर लिखना पेड़ मत काटो


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ये सत्य है विज्ञान जीवन पर आधारित है, और Chemistry मे स्पष्ट बताया गया है,कि जब नया Bond बनता है,तो पुराना टूट जाता है।


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अब लगता है ठीक कहा था ग़ालिब ने बढ़ते-बढ़ते दर्द दवा हो जाता है -मदन मोहन दानिश


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