DeeprajGound's profile picture. 😃आज़ाद रहिये विचारों से🌱
 लेकिन बंधे 🌹रहिये अपने😊 संस्कारों से
🇮🇳 🙏🏹जोहार🏹 🙏🇮🇳https://twitter.com/JaysArmy?t=32ODsCqqPFhOGy3J5RQOrw&s=09

@Tribal_Boy🇮🇳

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जयस संस्थापक(Founder JAYS)को बेबजह परेशान किया जा रहा है

विक्रम अछालिया JAYS का अध्यक्ष है और आदिवासियों के सामाजिक गतिविधियों में भाग लेता है। भाजपा सरकार उसे भोपाल में आयोजित JAYS दिवस में शामिल नहीं होने देना चाहती थी। यदि भाजपा आदिवासियों के सामाजिक आयोजन में भी राजनैतिक हस्तक्षेप करेगी तो यह अनुचित है। -१

digvijaya_28's tweet image. विक्रम अछालिया JAYS का अध्यक्ष है और आदिवासियों के सामाजिक गतिविधियों में भाग लेता है। भाजपा सरकार उसे भोपाल में आयोजित JAYS दिवस में शामिल नहीं होने देना चाहती थी। यदि भाजपा आदिवासियों के सामाजिक आयोजन में भी राजनैतिक हस्तक्षेप करेगी तो यह अनुचित है।
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हिंदुओं के विवाह कानून और स्पेशल मैरिज एक्ट का आधार पहले कानून मंत्री डॉ. बी.आर. आंबेडकर का ड्राफ्ट किया हुआ और संसद में पेश किया गया हिंदू कोड बिल है. इसमें भी “दूल्हा” और “दूल्हन” का प्रावधान है. hindi.theprint.in/opinion/not-fu…

hindi.theprint.in

विवाह मौलिक अधिकार नहीं, समान सेक्स मैरिज पर फैसला अदालत के कमरे में नहीं, संसद में हो

भारत में ज्यादातर विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 में निर्देशित होते हैं. इसके अलावा 1954 का स्पेशल मैरिज एक्ट है, जो विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच शादी को मान्यता देता है.


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दलित और आदिवासी जीवन तथा जंगल-जेल-पर्यावरण आदि की रिपोर्टिंग भी सवर्ण हिंदू पत्रकार ही कर रहे हैं। सारे पुरस्कार उनको ही मिल रहे हैं। बाक़ी लोगों को शायद पता भी नहीं कि अब कोई भी पुरस्कार आवेदन किए बिना नहीं मिलता। ये भारतीय मीडिया पर सवर्ण कंट्रोल को भी दिखाता है।


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सुप्रीम कोर्ट के पाँच सबसे सीनियर जजों का कोलिजियम होता है। इन पाँचों का आधा समय तो इस पॉलिटिक्स में निकल जाता है कि किसे जज बनाएं। ये बहुत कम कोर्ट में बैठते हैं।


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The idea that the Chief Justice led Collegium’s role is essential in making the judiciary independent is nothing but a rewriting of the Constitution and giving veto power to the CJI. theprint.in/opinion/ambedk…

theprint.in

Ambedkar rejected collegium system, said CJI supremacy on judges' appointment is dangerous

In May 1949, the Constituent Assembly debated the Collegium system, only to reject it thrice. Now the SC is assuming that role once again.


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हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में रिज़र्वेशन नहीं है। वहाँ 24 कैरेट का शुद्ध मेरिट और टैलेंट उबल रहा है और ये देश की सबसे निठल्ली संस्थाएँ हैं। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में 60 लाख केस पेंडिंग हैं। 20-20 सुनवाई के बाद इनसे जजमेंट नहीं लिखा जाता। इन्हें खुद को भंग कर लेना चाहिए।


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