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Narayan Das Shukla

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#गीता_जयंती_पर_असली_गीतासार गीताजी अध्याय 18 श्लोक 62 प्रमाणित करता है कि पूर्ण परमात्मा गीता ज्ञानदाता से भिन्न है। हे भारत! तू संपूर्ण भाव से उस परमेश्वर की ही शरण में जा। उस परमात्मा की कृपा से ही तू परम शान्ति को तथा सदा रहने वाले अविनाशी स्थान को प्राप्त होगा।”

Dhanesh91783211's tweet image. #गीता_जयंती_पर_असली_गीतासार
गीताजी अध्याय 18 श्लोक 62 प्रमाणित करता है कि पूर्ण परमात्मा गीता ज्ञानदाता से भिन्न है। 
हे भारत! तू संपूर्ण भाव से उस परमेश्वर की ही शरण में जा। उस परमात्मा की कृपा से ही तू परम शान्ति को तथा सदा रहने वाले अविनाशी स्थान को  प्राप्त होगा।”

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#गीता_जयंती_पर_असली_गीतासार गीताजी अध्याय 4 श्लोक 5 में गीता ज्ञान देने वाला भगवान स्वयं को जन्म मरण के अंतर्गत बता रहा है, फिर जन्म मरण से परे अविनाशी व पूजनीय पूर्ण परमात्मा कौन है? जानने के लिए पढ़ें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा। Tattvadarshi Sant Rampal Ji

Ekta_988's tweet image. #गीता_जयंती_पर_असली_गीतासार
गीताजी अध्याय 4 श्लोक 5 में गीता ज्ञान देने वाला भगवान स्वयं को जन्म मरण के अंतर्गत बता रहा है, फिर जन्म मरण से परे अविनाशी व पूजनीय पूर्ण परमात्मा कौन है? 
जानने के लिए पढ़ें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा।
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#गीता_जयंती_पर_असली_गीतासार Tattvadarshi Sant Rampal Ji

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#गीता_जयंती_पर_असली_गीतासार प्रमाण के लिए देखें- श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 2 श्लोक 12, गीता अध्याय 4 श्लोक 5, गीता अध्याय 10 श्लोक 2 में गीता ज्ञान दाता स्वयं स्वीकार करता है कि मेरी भी जन्म व मृत्यु होती है, मैं अविनाशी नहीं हूँ। Tattvadarshi Sant Rampal Ji

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श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 2 श्लोक 12,

गीता अध्याय 4 श्लोक 5,

गीता अध्याय 10 श्लोक 2

में गीता ज्ञान दाता स्वयं स्वीकार करता है कि मेरी भी जन्म व मृत्यु होती है, मैं अविनाशी नहीं हूँ।
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#गीता_जयंती_पर_असली_गीतासार गीता जी अध्याय 17 श्लोक 23 में गीता ज्ञान दाता ने संकेत किया है कि इस सच्चिदानंद घन ब्रह्म अर्थात परम अक्षर ब्रह्म की भक्ति का ऊँ तत् सत् यह तीन मंत्र का जाप है, इसी का जाप करने का निर्देश है। Tattvadarshi Sant Rampal Ji

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गीता जी अध्याय 17 श्लोक 23 में गीता ज्ञान दाता ने संकेत किया है कि इस सच्चिदानंद घन ब्रह्म अर्थात परम अक्षर ब्रह्म की भक्ति का ऊँ तत् सत् यह तीन मंत्र का जाप है, इसी का जाप करने का निर्देश है।
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#गीता_जयंती_पर_असली_गीतासार तत्वदर्शी संत की पहचान गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में बताते हुए कहा है कि यह संसार उल्टे लटके हुए वक्ष की तरह है। जिसकी ऊपर को मूल तथा नीचे को शाखा है। जो इस संसार रूपी वक्ष के विषय में जानता है वह तत्वदर्शी संत है। Tattvadarshi Sant Rampal Ji

1rajkumar123's tweet image. #गीता_जयंती_पर_असली_गीतासार

तत्वदर्शी संत की पहचान गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में बताते हुए कहा है कि यह संसार उल्टे लटके हुए वक्ष की तरह है। जिसकी ऊपर को मूल तथा नीचे को शाखा है। जो इस संसार रूपी वक्ष के विषय में जानता है वह तत्वदर्शी संत है।

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#गीता_जयंती_पर_असली_गीतासार गीताजी अध्याय 4 श्लोक 5 में गीता ज्ञान देने वाला भगवान स्वयं को जन्म मरण के अंतर्गत बता रहा है, फिर जन्म मरण से परे अविनाशी व पूजनीय पूर्ण परमात्मा कौन है? जानने के लिए पढ़ें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा। Tattvadarshi Sant Rampal Ji

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गीताजी अध्याय 4 श्लोक 5 में गीता ज्ञान देने वाला भगवान स्वयं को जन्म मरण के अंतर्गत बता रहा है, फिर जन्म मरण से परे अविनाशी व पूजनीय पूर्ण परमात्मा कौन है? 
जानने के लिए पढ़ें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा।

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#गीता_जयंती_पर_असली_गीतासार 🎉 गीता अध्याय 18, श्लोक 66 गीता ज्ञान दाता काल कहता है, " मेरी सभी धार्मिक पूजाओं को मुझमें त्याग कर, तू केवल उस एक पूर्ण परमात्मा की शरण में जा। मैं तुझे सभी पापों से मुक्त कर दूंगा; तू शोक मत कर। Tattvadarshi Sant Rampal Ji

Narayan_shukla9's tweet image. #गीता_जयंती_पर_असली_गीतासार
🎉 गीता अध्याय 18, श्लोक 66 
गीता ज्ञान दाता काल कहता है, " मेरी सभी धार्मिक पूजाओं को मुझमें त्याग कर, तू केवल उस एक पूर्ण परमात्मा की शरण में जा। मैं तुझे सभी पापों से मुक्त कर दूंगा; तू शोक मत कर।
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#यथार्थ_गीता_ज्ञान गीता अध्याय 18, श्लोक 66 ↪️ गीता ज्ञान दाता काल कहता है, " मेरी सभी धार्मिक पूजाओं को मुझमें त्याग कर, तू केवल उस एक पूर्ण परमात्मा की शरण में जा। मैं तुझे सभी पापों से मुक्त कर दूंगा; तू शोक मत कर। Sant Rampal Ji Maharaj 🙏

Bharat__Dass's tweet image. #यथार्थ_गीता_ज्ञान गीता अध्याय 18, श्लोक 66 

↪️ गीता ज्ञान दाता काल कहता है, " मेरी सभी धार्मिक पूजाओं को मुझमें त्याग कर, तू केवल उस एक पूर्ण परमात्मा की शरण में जा। मैं तुझे सभी पापों से मुक्त कर दूंगा; तू शोक मत कर।
Sant Rampal Ji Maharaj 🙏

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#यथार्थ_गीता_ज्ञान गीता अध्याय 15 श्लोक 16–17 में दो नाशवान पुरुषों और एक उत्तम पुरुष का वर्णन है। तीसरे पुरुषोत्तम को ही पूर्ण परमात्मा कहा गया है, जो तीनों लोकों में प्रवेश कर सबका पालन करता है और अविनाशी है। Sant Rampal Ji Maharaj

Rukhmani21's tweet image. #यथार्थ_गीता_ज्ञान
गीता अध्याय 15 श्लोक 16–17 में दो नाशवान पुरुषों और एक उत्तम पुरुष का वर्णन है। तीसरे पुरुषोत्तम को ही पूर्ण परमात्मा कहा गया है, जो तीनों लोकों में प्रवेश कर सबका पालन करता है और अविनाशी है।
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#यथार्थ_गीता_ज्ञान तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है Sant Rampal Ji Maharaj

Ekta_988's tweet image. #यथार्थ_गीता_ज्ञान
तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है
Sant Rampal Ji Maharaj

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अध्याय 11 श्लोक 47 में पवित्र गीता जी को बोलने वाले प्रभु काल ने कहा है कि 'हे अर्जुन ! यह मेरा वास्तविक काल रूप है, जिसे तेरे अतिरिक्त पहले किसी ने नहीं देखा था।' #यथार्थ_गीता_ज्ञान Sant Rampal Ji Maharaj

Vijaybakore_'s tweet image. अध्याय 11 श्लोक 47 में पवित्र गीता जी को बोलने वाले प्रभु काल ने कहा है कि 'हे अर्जुन ! यह मेरा वास्तविक काल रूप है, जिसे तेरे अतिरिक्त पहले किसी ने नहीं देखा था।'

#यथार्थ_गीता_ज्ञान
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#यथार्थ_गीता_ज्ञान गीता अध्याय 18, श्लोक 66 गीता ज्ञान दाता काल कहता है, " मेरी सभी धार्मिक पूजाओं को मुझमें त्याग कर, तू केवल उस एक पूर्ण परमात्मा की शरण में जा। मैं तुझे सभी पापों से मुक्त कर दूंगा; तू शोक मत कर। Sant Rampal Ji Maharaj

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गीता अध्याय 18, श्लोक 66 
गीता ज्ञान दाता काल कहता है, " मेरी सभी धार्मिक पूजाओं को मुझमें त्याग कर, तू केवल उस एक पूर्ण परमात्मा की शरण में जा। मैं तुझे सभी पापों से मुक्त कर दूंगा; तू शोक मत कर।

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#यथार्थ_गीता_ज्ञान Gitaji Chapter 18 Verse 62 proves that Purn Parmatma (Complete God) is different from the Gita Gyan Data (Giver of Gita Knowledge). O Bharat! You with complete feeling/devotion to that Parameshwar (Supreme God) only go for shelter. By that Parmatma's grace

Real_Diksha's tweet image. #यथार्थ_गीता_ज्ञान
Gitaji Chapter 18 Verse 62 proves that Purn Parmatma (Complete God) is different from the Gita Gyan Data (Giver of Gita Knowledge). O Bharat! You with complete feeling/devotion to that Parameshwar (Supreme God) only go for shelter. By that Parmatma's grace

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#यथार्थ_गीता_ज्ञान श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 2 श्लोक 12, गीता अध्याय 4 श्लोक 5, गीता अध्याय 10 श्लोक 2 में गीता ज्ञान दाता स्वयं स्वीकार करता है कि मेरी भी जन्म व मृत्यु होती है, मैं अविनाशी नहीं हूँ। - Sant Rampal Ji Maharaj

Jhanshisahu97's tweet image. #यथार्थ_गीता_ज्ञान
श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 2 श्लोक 12, गीता अध्याय 4 श्लोक 5, गीता अध्याय 10 श्लोक 2 में गीता ज्ञान दाता स्वयं स्वीकार करता है कि मेरी भी जन्म व मृत्यु होती है, मैं अविनाशी नहीं हूँ।
- Sant Rampal Ji Maharaj

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#यथार्थ_गीता_ज्ञान गीता कहती है— तत्वज्ञान के लिए तत्वदर्शी संत की शरण लो (4:34)। और आज वही तत्त्वज्ञान "ज्ञान गंगा" में प्रत्यक्ष मिलता है। Sant Rampal Ji Maharaj

muktanandsahu_'s tweet image. #यथार्थ_गीता_ज्ञान
गीता कहती है— तत्वज्ञान के लिए तत्वदर्शी संत की शरण लो (4:34)।
और आज वही तत्त्वज्ञान "ज्ञान गंगा" में प्रत्यक्ष मिलता है।
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#यथार्थ_गीता_ज्ञान तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है Sant Rampal Ji Maharaj

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तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है
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#यथार्थ_गीता_ज्ञान गीता जी अध्याय 11 श्लोक 32 में कृष्ण स्वयं को बढ़ा हुआ काल बताकर कहता है कि अब लोकों के विनाश हेतु प्रकट हुआ हूँ। यदि गीता ज्ञान श्री कृष्ण देते, तो वे “अब प्रकट हुआ हूँ” नहीं कह सकते थे। Sant Rampal Ji Maharaj

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गीता जी अध्याय 11 श्लोक 32 में कृष्ण स्वयं को बढ़ा हुआ काल बताकर कहता है कि अब लोकों के विनाश हेतु प्रकट हुआ हूँ। यदि गीता ज्ञान श्री कृष्ण देते, तो वे “अब प्रकट हुआ हूँ” नहीं कह सकते थे।
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#यथार्थ_गीता_ज्ञान गीता अध्याय 18, श्लोक 62 “हे अर्जुन! तू सब प्रकार से उस परम ईश्वर की ही शरण में जा। उस परमपिता परमात्मा की कृपा से ही तू परम शांति और शाश्वत स्थान- सतलोक (स्थान-धाम) को प्राप्त होगा”। Sant Rampal Ji Maharaj

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गीता अध्याय 18, श्लोक 62 
“हे अर्जुन! तू सब प्रकार से उस परम ईश्वर की ही शरण में जा। उस परमपिता परमात्मा की कृपा से ही तू परम शांति और शाश्वत स्थान- सतलोक (स्थान-धाम) को प्राप्त होगा”। 
Sant Rampal Ji Maharaj

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#यथार्थ_गीता_ज्ञान "गीता ज्ञान श्री कृष्ण ने नहीं कहा" जब कुरुक्षेत्र के मैदान में पवित्र गीता जी का ज्ञान सुनाते समय अध्याय 11 श्लोक 32 में पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि अर्जुन में बढ़ा हुआ काल हूँ। अब सर्व लोकों को खाने के लिए प्रकट हुआ हूँ। Sant Rampal Ji Maharaj

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"गीता ज्ञान श्री कृष्ण ने नहीं कहा"

जब कुरुक्षेत्र के मैदान में पवित्र गीता जी का ज्ञान सुनाते समय अध्याय 11 श्लोक 32 में पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि

अर्जुन में बढ़ा हुआ काल हूँ। अब सर्व लोकों को खाने के लिए प्रकट हुआ हूँ।
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