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Hitesh Sharma 'पथिक'

@PathikHitesh

और कब तक हम विरह के गीत गायें और कब तक झूठ सच सबको बतायें ओढ़ कर झूठी हँसी तुम ही बताओ और कब तक आँसुओं में मुस्कुरायें शब्द खुल कर खिलखिलाना चाहते हैं हम प्रणय के गीत गाना चाहते हैं प्रेम का ही रूप तो है रूठना... facebook.com/pathiksharmahi…


कभी वैसा था, अब वैसा नहीं हूँ मैं जो हूँ, ख़ुद से तो मिलता नहीं हूँ मेरा दावा था मैं झुकता नहीं हूँ मैं अब कहता... fb.me/1DKa3S5x9


हाँ तुम्हारे शहर में आना हुआ हाँ मगर ये कितना बेग़ाना हुआ


तुम न समझ पाये कभी, अश्कों की फ़रियाद। क्या समझोगे हिचकियाँ, क्या समझोगे याद।


इन आँखों में कितने सपने.... और सपनों में तुम ही तुम.... मेरी ग़ज़लों में गीतों में.... और नज़्मों में तुम ही तुम....


भूल गए जब आप ही, नेह भरी हर बात। क्या पूनम की चाँदनी, क्या मावस की रात।


याद तुम्हारी आ गयी, फिर मन हुआ अधीर। बादल बरसे टूट कर, नदियाँ हुईं अतीर।


कुछ रातें हर सुबह हसीं कर देती हैं कुछ रातों की सुबह अधूरी लगती है कभी दूरियाँ ज़रा हुईं महसूस नहीं और आज ये... fb.me/7ma7guvyW


फिर तेरा शह्र और मेहमाँ हम क्या गुलाबी है, सोच हैराँ हम.... तू नहीं है न, स्याह है दुनिया दिल है बेचैन, और परेशाँ हम...


गुलमोहर कुछ याद शायद हो तुम्हें अब भी कि जब तुम बीज भर थे या अगर कुछ और सोचूँ तो छिपे थे बीज के अंदर बहुत नन्हें... fb.me/1AhnIaCjX


तुम्हारे नाम थे कल भी तुम्हारे नाम हैं अब भी उदास उदास से अशआर, कल थे रूमानी - हितेश शर्मा 'पथिक'


उनसे इज़हार न कर पाये न कर पायेंगे टूट के चाहा उन्हें टूट के हम चाहेंगे लफ़्ज़ ये सोच के ख़ामोश रहे हैं अब तक बात... fb.me/98T7lWAjL


मेरी खुली हुई आँखें बंद आँखों से ईर्ष्या करती हैं। तुम्हें देखना हो तो पलकें ख़ुद ही मुँद जाया करती हैं। हाँ मन... fb.me/y1lh7yUg


रहे देखते मात्र आतंकियों को अचम्भा हुआ आप चूँ भी न बोले! पुकारा किए शम्भु हे शम्भु सारे प्रभो बोलिए आप कैसे न... fb.me/ydUdU38s


गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर छंद सम्राट परम आदरणीय दादा को अनेक नमन। मैं सौभाग्यशाली हूँ कि उनका स्नेह एवम् आशीष... fb.me/1uW9UXScP


मैं खुलकर हँसता हूँ वो छुप छुप कर रोती है भैया। मैंने कब जाना वो कब उठती कब सोती है भैया। हाँ रूठी तो है लेकिन... fb.me/1Nst7mhPj


दर्द अकेले में यूँ कम न होगा कभी आइये बाँटकर कुछ घटा लीजिए। आँसुओं को सहेजे हैं क्योंकर भला ख़र्च कर दीजिए,... fb.me/51qPMqZvS


शुष्क मन की भूमि पर बरसात पूनम की रही। चाँद आधा था मगर कल रात पूनम की रही। था सितारों संग अकेला एक बादल अनमना; और... fb.me/8ZJAbhPOH


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