saurabhsingh28_'s profile picture. Coffee, Books & Unfinished Thoughts
                                   लोग, लफ़्ज़ और लम्हे — सब सहेजता हूँ।

सौरभ सिंह

@saurabhsingh28_

Coffee, Books & Unfinished Thoughts लोग, लफ़्ज़ और लम्हे — सब सहेजता हूँ।

ปักหมุด

मरेंगे हम किताबों पर, वरक (पन्ना) होगा कफ़न अपना ।

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अगर हिसाब किया बेक़रार रातों का रहा ज़ियादा दिनों से शुमार रातों का निकलते दिन पे है देखो हिसार रातों का चमक उठा है जहाँ कारोबार रातों का न आसमाँ पे सितारे, न माहताब, न तुम करेगा क्या कोई इन बेक़रार रातों का तमाम दिन न खिली इक कली थी गुलशन में कि ख़ुशबुओं को भी था इंतिज़ार रातों…


ख़ुद से मिल जाते तो चाहत का भरम रह जाता, क्या मिले आप जो लोगों के मिलाने से मिले ! •/कैफ़ भोपाली


सवेरे की ओस से भीगी पंखुड़ियाँ, जैसे तुम्हारे स्पर्श की नरमी समेटे हों। सूरज की पहली किरण जब इन्हें छूती है, तो लगता है, तुम मुस्कुराए हो कहीं। हर गिरता फूल, एक अधूरी बात कह जाता है, शब्दों से नहीं, खुशबू से, और हवा, जो इन्हें उड़ा ले जाती है, वो तुम्हारा नाम बार-बार दोहराती है।…

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जैसे तुम्हारे स्पर्श की नरमी समेटे हों।
सूरज की पहली किरण जब इन्हें छूती है,
तो लगता है, तुम मुस्कुराए हो कहीं।
हर गिरता फूल, एक अधूरी बात कह जाता है,
शब्दों से नहीं, खुशबू से,
और हवा, जो इन्हें उड़ा ले जाती है,
वो तुम्हारा नाम बार-बार दोहराती है।…

To be desired is perhaps the closest anybody in this life can reach to feeling immortal. ~John berger


सौरभ सिंह รีโพสต์แล้ว

इन्हीं किताबों के छायानशीं होकर गुजर-बसर करना है...🙂

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मरेंगे हम किताबों पर, वरक (पन्ना) होगा कफ़न अपना ।

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दूरियों का भूगोल नहीं उनका समय बदलता है। कितना ऐतिहासिक लगता है आज तुमसे उस दिन मिलना। /कुँवर नारायण


नमो पार्वती पतये हर हर महादेव 🚩📿🌼🔱


For Every silent battle you've been fighting, this one's is for you❤️‍🩹 तुम अकेले नहीं हो दोस्त🫂


अक्टूबर आया है, धीरे-धीरे, ठंडी उँगलियों से दिल के दरवाज़े खटखटाता हुआ। ये वो मौसम है जब यादें धुंध बन जाती हैं, और धड़कनें कुछ ज़्यादा सुनाई देती हैं। शायद जीवन भी एक अक्टूबर ही है थोड़ा डरावना, थोड़ा रूमानी, और हर सुबह, हरसिंगार की तरह थोड़ा-सा मरकर… फिर खिल उठता है। 🍃🌸🌷

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धीरे-धीरे, ठंडी उँगलियों से दिल के दरवाज़े खटखटाता हुआ।
ये वो मौसम है जब यादें धुंध बन जाती हैं,
और धड़कनें कुछ ज़्यादा सुनाई देती हैं।
शायद जीवन भी एक अक्टूबर ही है
थोड़ा डरावना, थोड़ा रूमानी, और हर सुबह, हरसिंगार की तरह थोड़ा-सा मरकर… फिर खिल उठता है। 🍃🌸🌷

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सरकारी नौकरी मिलना ही सफलता समझी लोगों ने घरवालों ने, लेकिन जो असफल रह गए उनका क्या? उनका संघर्ष,उनकी वर्षों की तपस्या पल भर में स्वाहा कर दी इस समाज के तानों ने, और कहा गया कि ये तो दो साल तीन साल दिल्ली/कोटा जा के टाइम पास ही करते रहे अगर मेहनत कर रहे थे तो‌ पास क्यों नहीं हुए?


सौरभ सिंह รีโพสต์แล้ว

लाइफ की कोई मीनिंग नहीं होती। उसमें मीनिंग डालना पड़ता है। कभी अपने पागलपन से तो कभी सपनों से .......✨ लाइफ में हर कोई बेचैन भी तो नहीं होता न! बिना बीमारी के जब बेचैनी रहने लगे तो समझ जाना कि लाइफ तुमसे मिलना चाहती है। 🍂 __________________________________


रातें अब सवालों जैसी लगने लगी हैं। कभी थकान से, कभी ख़ुद से समझ नहीं आता किससे लड़ रहा हूँ। लोग कहते हैं, “तुममें गहराई है !” पर सच तो ये है कि मैं खुद उस गहराई में गिरा पड़ा हूँ, और नीचे कोई ज़मीन नहीं दिखती। हर सुबह उठता हूँ, थोड़ा टूटा हुआ, पर फिर भी चलता हूँ, क्योंकि शायद…


गालियों के ग़ालिब :⁠-⁠)


One day, me with someone's ex 😁


India's Biggest Pole: Whose playlist is the best ? 🔥


देखो ना! शुरुआत से ले कर जीवन के अंत तक हम कितने रिश्तों को निभाते हुए चलते है मगर प्रेम... प्रेम फिर भी हमारे हिस्से बहुत थोड़ा सा आता है। /@Archish__ ✍️


Humor peaked Level 📈😀


अपने बारे में जितना सोचता हूँ,उतना ही भीतर से टूट जाता हूँ ऐसा कोई दिन नहीं गुजरता जब खुद को लेकर उलझन न हुई हो अब तो अपने बारे में सोचना भी गुनाह-सा लगता है जैसे मैं खुद अपनी ज़िंदगी में एक गलती बन गया हूँ कभी-कभी लगता है,मेरा होना ही शायद किसी अधूरे किस्से की वजह है,और मैं बस…


The road to success is paved with sacrifice, sweat, and silent battles.🏆🙌💯


सम्पूर्ण क्रांति से मेरा तात्पर्य समाज के सबसे अधिक दबे-कुचले व्यक्ति को सत्ता के शिखर पर देखना है। /लोकनायक जयप्रकाश नारायण


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